आज कई दिनों की खामोशी के बाद फिर आपसे रूबरू हो रहा हूँ। वक़्त के थपेड़ों के साथ चलते हुए कब साल दर साल गुजर जाते हैं पता ही नहीं चलता। हम अपने आप में मसरूफ़ होते चले जाते हैं। स्थितियां कुछ ऐसी बदलती हैं कि हमें अपने शौक से भी मुँह मोड़ लेना पड़ता है,चाहे थोड़ी देर के लिये ही सही.पर आज मैं आपके सामने उपस्थित हुआ हूँ तो मैं अपनी बात आपसे share नहीं करने जा रहा हूँ.
बात है एक टेक्नोक्रैट के दिल की... एक भावी कुशल प्रबंधक की...
जी हाँ! मैं बात कर रहा हूँ " भारतीय प्रबंध संस्थान(IIM ), कोझीकोड, केरल" में पढ़ने वाले मेरे छोटे भाई की. भारतीय तकनीकी संस्थान(IIT),रूड़की से विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातक मेरा छोटा भाई ’सुजीत कुमार’... जिसके बारे मैं आप पहले भी मेरी इस पोस्ट में पढ़ चुके हैं...
मुँबई की वो दहशत भरी रात ने सभी के दिलो दिमाग को मथ दिया। इन्हीं पलों में कुछ पंक्तियाँ सुजीत के दिल से निकली होंगी जिसे उसने अपने ब्लॉग पर डाला है. आप भी पढ़ें...
मुझे डर लगता है.
कल से फैला है सन्नाटा है हर तरफ़.
कोई भी मरा नही है
पता नही मुझे क्यूँ लगता है
अब मेरी बारी है...
(पूरी कविता के लिये ऊपर की पंक्तियों पर क्लिक करें..)
Thursday, December 04, 2008
अब मेरी बारी है.........
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4 comments:
बड़े दिनों तक गायब रहे?
अरसे बाद आप नजर आए ,जो पीड़ा आपके भाई ने महसूस की ,पुरा देश उसी भावना से गुजर रहा है
Are Ajitsaab
Kahan chale gaye the?
Welcome back.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
कई दिनों की खामोशी के बाद रूबरू हुए और एक माह से फिर खामोश है
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