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Sunday, March 09, 2008

अब चराग़ों का कोई काम नहीं....

दोस्तो,

कभी - कभी हम अपने आस पास पड़े हुए कुछ चीजों से अनजान रहते हैं. और जब एकाएक जब वो चीजें हमारी नजरों के सामने आती हैं तो हमें एक आश्चर्य सा होता है कि अब तक हुम इससे यूं अनजान कैसे बने बैठे थे. ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ जब एक गाना जो मेरे अल्बम में जाने कब से पडा था,वो अन्य गानों के साथ बज उठा. और जब मैनें उसे सुना तो क्या कहूं हुजूर, दिन भर सुनता ही रह गया.

मैने ये बात बहुत बार कही है कि येसुदास साहब को मैं अपनी दिल की गहराइयों से पसन्द करता हूं; और जब उनके साथ मेरे हमेशा से प्रिय संगीतकार खै़य्याम साहब का संगीत हो तो आप मेरी खुशी का अन्दाज़ा आप लगा सकते हैं.

आज मैं जिस गाने को लेकर आपसे मुखातिब हूं उसे मैने कल ही पहली बार सुना इसीलिए आप उसे मेरी उस ‘पहली बार’ श्रृंखला की अगली कड़ी मान सकते हैं.

                                                       बावरी

1982 में राकेश रौशन और जयाप्रदा अभीनीत एक फ़िल्म आयी थी ‘बावरी’. इस फ़िल्म के अन्य कलाकार थे योगिता बाली और डा. श्रीराम लागू. जब गाना सुनने के बाद मैने इस फ़िल्म के बारे में जानकारी जुटानी चाही तो बहुत इन्टरनेट खंगालने के बाद भी मुझे ज्यादा जानकारी नहीं मिल पायी. बहुत संभव है कि आपमे से बहुतों ने यह फ़िल्म देखी हो,तो उन्हें इसके बारे में पूरी बात पता हो.

बहरहाल, मैं बात कर रहा था इसी फ़िल्म के उस गाने की जिसे मैने पहली बार सुना और दिलो दिमाग पर छा सा गया. मैं युनुस भाई के शब्दों को उधार लूंगा और कहूंगा कि सचमुच ये एक संक्रामक गीत है. इसे लिखा है माया गोविन्द ने,संगीत है खै़य्याम का और इसे अपनी सुरीली और मधुर स्वरों से सजाया है लता मंगेशकर और येसुदास जी ने. किसी भी गीत की जान होते हैं उसके बोल, पर अगर बोलों को कर्णप्रिय धुनों और अच्छी आवाज़ों का साथ न मिले तो अच्छी शायरी भी लोगों की जुबान पर नहीं चढ सकती. पर यहां देखें माया गोविन्द की कलम की तासीर..

"अब चराग़ों का कोई काम नहीं,
तेरे नैनों से रोशनी सी है.
चन्द्रमा निकले अब या ना निकले,
तेरे चेहरे से चांदनी सी है. "

बेहद सादा और नर्मो नाजुक से बोल को खै़य्याम साहब ने अपनी धुनों से और भी नरमी बख्शी है. लता जी और येसुदास की वो लहराती हुई आवाज़ हमें मानों किसी और ही दुनिया में खींच ले जाती है.

बीच के लफ़्जों पर ध्यान दें, लता जी गाते - गाते रुक जाती हैं...

"रात सपने में कुछ अजब देखा,
शर्म आती है ये बताते हुए........ "

इसके बाद.. येसुदास जी का वो कहना " रुक क्यूं गयी.. कहो ना." यहां ये तीन पंक्तियां गाने को एक ऊंचाई पर ले जाती हैं.

आइये, अब अधिक इन्तज़ार नहीं..सुनिये चासनी में डूबे इस गीत को और साथ में पढें अशआरों को और दाद दी जाये शायरा के कलम को...

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अब चराग़ों का कोई काम नहीं,
तेरे नैनों से रोशनी सी है.
चन्द्रमा निकले अब या ना निकले,
तेरे चेहरे से चांदनी सी है.

हुस्न -ए- कश्मीर, जादू-ए-बंगाल,
तू सरापा* किसी शायर का ख़याल.
तूने ज़र्रे को सितारा समझा,
ये है साजन तेरी नज़रों का कमाल.

तेरी सूरत में जलवागर लैला,
जानेमन तू ही सोहनी सी है.
तेरे नैनों से रोशनी सी है.

एक ख्वाहिश, एक ही अरमां,
रात दिन बस तेरी पूजा करना.
तेरे चरणों की बन रहूं दासी,
तेरे चरणों में ही जीना मरना.

मेरे सपनों की तू महारानी,
तेरी सूरत में मोहिनी सी है.
तेरे नैनों से रोशनी सी है.

रात सपने में कुछ अजब देखा,
शर्म आती है ये बताते हुए........

रुक क्यूं गयी..... कहो ना..

एक सीपी में छुप गया मोती,
जाने कब ओस में नहाते हुए.

तूने खुशियों से भर दिया आंगन,
तेरी ये बात रागिनी सी है.
तेरे नैनों से रोशनी सी है.

हर जनम में रहेगा साथ तेरा,
ऐ मेरी सीता मेरी सावित्री.
नाम तेरा मैं मन्त्र कर लूंगा,
गायत्री,गायत्री ही गायत्री.

तेरी बांहों में जो ये दम निकले,
मौत भी मेरी जिंदगी सी है.

चन्द्रमा निकले अब या ना निकले,
अब चराग़ों का कोई काम नहीं,
तेरे चेहरे से चांदनी सी है.
तेरे नैनों से रोशनी सी है.

                                                 * सिर से लेकर पाँव तक.

तो मेरे संगीतप्रेमी सुधी पाठको, आशा है आपको ये प्रस्तुति अच्छी लगी होगी. अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे जरूर अवगत कराते रहें.

5 comments:

Anita kumar said...

अजीत जी बहुत ही मधुर गाना है, इसे सुनवाने के लिए धन्यवाद

सागर नाहर said...

बहुत ही प्यारा गीत और संगीत।
येशुदास के गीतों को सुनने के बाद कोई विश्वास नहीं कर सकेगा कि येशु्दास जी को हिन्दी नहीं आती। परन्तु हिन्दी का इतना बढ़िया उच्चारण।

कई बार मुझे अपने गीत संग्रह को देखकर लगता है कि मेरे पास बहुत बढ़िया गीत है पर इस तरह के अनसुने गीत सुनने के बाद लगता है अपना हाल तो उस जैसा है जिसके पास एक हल्दी का टुकड़ा आ जाये तो अपने आप को पंसारी समझने लगा है। :(

Harshad Jangla said...

Ajitbhai
Never heard before.
Didi's voice always give pleasure.
Nice song.
Thanx & Rgds.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

डॉ .अनुराग said...

sach me bahut khoobsurat song....

Alpana Verma said...

bahut sundar geet hai-yesudas 's mana ho tum behad and surmayee ankheeyon mein nanha munna sapna de jaa--i like most.
Lata ji is always a pleasure to hear.rather I appx 1000 songs of hers with me[cassettes/cd]:D

--aap ka music taste achcha hai.will wait to see more gems from your collection.