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Friday, October 12, 2007

माँ का प्रथम स्वरूप " शैलपुत्री"


"या देवी सर्वभूतेषु,
शक्ति रूपेण संस्थिता:,
नमस्त्स्यै, नमस्त्स्यै, नमस्त्स्यै, नमो नमः।"

माँ के भक्तो, आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो गए हैं अर्थात माँ दुर्गा की उपासना का महायज्ञ। आज माँ के प्रथम स्वरूप "शैलपुत्री" की आराधना की जाती है। शैल यानी पर्वत। माँ का प्रथम स्वरूप है पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री अर्थात पार्वती का।


माँ के दो हाथ हैं, दाहिने हाथ में माँ त्रिशूल तथा बायें हाथ में कमल-पुष्प धारण करती हैं। माता वृषभ पर आरूढ़ हैं। उनके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित हो रहा है।

देवी प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मात्तर्जगतोऽखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वामीश्वरी देवि चराचरस्य॥
मैंने अपने पिछले पोस्ट में आपसे अनुरोध किया था कि आप भी भक्तिमय हो जाएं और आज से शुरू होने वाले दस दिवसीय महायज्ञ को और भी भक्ति तथा शक्ति से मनाएं। मैं हर रोज आपको देवी के अलग अलग रूपों से अवगत कराने की अपने स्तर से भरपूर कोशिश करूंगा और चाहूंगा कि आप भी थोड़ा समय दें. साथ - साथ मैं हर रोज आपके लिए लिए एक माँ को समर्पित भक्ति गीत भी प्रस्तुत करुंगा। तो आज प्रस्तुत है ये भजन , आप सुने, सुनाएँ और अपने आस पास के वातावरण को भक्तिमय कर दें। मैं भी जा रहा हूँ माँ की आराधना के लिए क्योंकि मेरी मम्मी दुर्गा शप्तशती का पाठ आरंभ कर चुकी हैं.

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3 comments:

पारुल "पुखराज" said...

भक्तिमय..प्रस्तुति,बहुत सुकून हुआ सुन कर…आभार ।

Sanjay Tiwari said...

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

Anonymous said...

Thank you for picking it up in these days.
I also have a question regarding shri Krishna ji,
did he ever worship lord Shri Ram or any orther person worshiping Shri ram in that time(mahabharat era) ?
Although they acknowledge shree Hanuman ji in that time.
Why shre Ram was not treated as it is taken now a days?