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Sunday, November 04, 2007

सचिन दा को याद करते किशोर कुमार साहब.....


दोस्तों ,
नमस्कार।

कल मैंने आपके लिए एक पोस्ट लिखी थी जिसमें मैंने जिक्र किया था कि हमारी अपनी विविध-भारती के स्वर्ण जयंती के मौक़े पर हमारे देश के स्टार ब्रोडकास्टर अमीन सायानी साहब प्रस्तुत करने जा रहे हैं "स्टार जयमाला" दोपहर 12:30 बजे से. यूँ तो 3 अक्तूबर 2007 को स्वर्ण जयंती मनाया गया किन्तु हम -आप सब जानते हैं कि ये सफर पूरे साल जारी रहने वाला है। इसी कड़ी में प्रत्येक महीने की ३ तारीख को मनाया जायेगा प्रोग्राम "जुबिली झंकार"। इसके बारे में विस्तृत जानकारी हमारे प्रिय उदघोषक यूनुस भाई आपको रेडियोनामा पर देंगे ही।

तो मैं बात कर रहा था अपने पिछले पोस्ट की । मैंने आपसे कहा था कि हम आप मिल कर सुनेंगे अमीन सयानी साहब को स्टार जयमाला में, किन्तु तब तक माहौल बनाते हैं उन्हें सुनने का। इसके बाद मैंने आपको उनकी ही आवाज़ में एक पोडकास्ट सुनवाया था जिसमे उन्होने जिक्र किया कि कैसे उन्होने किशोर कुमार साहब को सचिन दा पर interview के लिए राजी कर लिया था।

मैं आपको कमाल की बात बताऊँ, हमारे गीतों की महफिल वाले भाई सागर चन्द्र नाहर जी ने मेरी पोस्ट को उठा कर रेडिओनामा पर जोड़ दिया और मैं और भी ज्यादा पढ़ा गया वहाँ। धन्यवाद सागर भाई,फिर से इसी आशा में हूँ।

मैंने अपने पोस्ट में माहौल बनाने के लिए अमीन साहब की आवाज़ को रखा था पर हमारे वरिष्ठ रेडियो श्रोता श्री पीयूष मेहता जी ने फरमाइश कर डाली कि सचिन देव बर्मन पर किशोर दा का वो interview सुनवायें. मैं बड़ी उलझन में पड़ गया । अब कहा से लाऊँ interview। मैं कोई यूनुस भाई सा ब्रोडकास्टर तो हूँ नहीं। तभी खोजबीन करते - करते मिल ही गया आख़िर।

शायद जो मैं आपको सुनाने जारहा हूँ वो उसी interview का एक हिस्सा हो। शायद इसीलिए कि मैंने इस पूरी बातचीत में अमीन साहब को एक ही बार बोलते सुना। वैसे भी जब किशोर दा बोलते हों तो किसी की क्या मजाल कि कुछ बोले......

जी हाँ ! किशोर दा अपने ही अंदाज में सचिन दा को याद कर रहे हैं इस बातचीत में। अभी कुछ दिन पहले ही दिन यानी ३१ अक्तूबर को सचिन दा की बरसी गुजरी है और हमारे किशोर दा उसी ३१ अक्तूबर से बात शुरू करते हैं जिस दिन उनका इंतक़ाल हुआ था।

इस कार्यक्रम को विविध-भारती ने ही अपने रजत जयंती वर्ष अर्थात अपनी पच्चीसवीं वर्षगांठ पर प्रस्तुत किया था, इस बात से यह और भी खास हो जाता है कि आज स्वर्ण जयंती के मौक़े पर मैं इसे आप सबों के लिए लेकर हाजिर हुआ हूँ। पीयूष भाई ने तो इस कार्यक्रम को तो सुना ही होगा। मैं उनके उदगार जानना चाहूँगा।

ये पूरा कार्यक्रम मुझे चार भागों मी मिला है और मैं चारो भाग आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। एक विनम्र अनुरोध है कि यदि वो किशोर दा के अंदाज को पूरे रंग में सुनना चाहते है तो चारो भाग समय निकाल कर पूरा सुनें।

तो बहनो और भाइओ! आइये स्वागत करें हमारे अपने किशोर दा का........

पहला भाग --

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दूसरा भाग --


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तीसरा भाग --


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चौथा भाग --

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तो दोस्तो, आपने इस पूरे पोडकास्ट का तुत्फ़ उठाया। प्रतिक्रियाओं का इच्छुक हूँ।

9 comments:

Yunus Khan said...

अजीत जी मज़ा आ गया । इस इंटरव्‍यू का इतिहास सुनिए । अमीन सायानी और किशोर कुमार अभिन्‍न मित्र रहे हैं । इस टोली में शामिल थे- महमूद और आर डी बर्मन भी ।
बहरहाल किसी वजह से अमीन सायानी और किशोर कुमार का झगड़ा हुआ और बातचीत बंद हो गयी । दस बारह साल तक बातचीत नहीं हुई । फिर बर्मन दा का देहांत हो गया । अमीन सायानी ने किशोर कुमार से संपर्क किया कि वो सचिन दा की याद में कार्यक्रम करें । तुनकमिज़ाज किशोर ने कहा कि केवल पांच मिनिट के लिए तुम्‍हारे स्‍टूडियो में आऊंगा जो चाहो पूछ लेना । पांच मि0 केवल । बहरहाल बातचीत शुरू हुई और किशोर दा ऐसे रमे कि लगातार चार पांच दिन तक आते रहे । ये इंटरव्‍यू चार भागों में रिकॉर्ड हुआ है ।
मेरी एक विनती है- इसे डाउनलोड कर लें । ताकि ई स्निप्‍स से कोई हटा भी दे तो भी आपके पास सुरक्षित रहे । सागर भाई आपकी मदद करेंगे । और हां मैं आपको रेडियोनामा का आमंत्रण भेज रहा हूं । अब आप रेडियोनामा के हो गये ।

PIYUSH MEHTA-SURAT said...

श्री अजीतजी,

इतनी जल्दी सकारात्मक प्रतिक्रिया ! वहोत बहोत धन्यवाद । मैने इस मुलाकात को इस बार ०३/१०/२००७ के दिन तो नहीं सुना । पर यह कार्यक्रम रेडियो श्री लंकासे बर्मनदा की मृत्यू के कुछ दिनमें एस. कूमारका फ़िल्मी मुकद्दमा कार्यक्रम अंतर्गत श्री अमीन सयानी साहबनें प्रस्तूत किया था वह मैने सुना था । उस समय यह प्रायोजित कार्यक्रम स्थानिय विविध भारती केन्द्रोसे नहीं होता था । जो बाद में शुरू हुआ था और वह भी श्री लंका रेडियोसे एक या दो हप्ते पिछे होता था । मूझे शायद आपको विविध भारती के फोन-इन कार्यक्रमोंमें सुना हो ऐसा लगता है । क्या यह सही है ?

Sagar Chand Nahar said...

मजा आ गया डॉ साहब, मुझे पता नहीं था कि मेरे इस तरह आपकी पोस्ट को कॉपी करने से हमें एक रेडियो प्रेमी दोस्त मिल जायेगा। आपसे रेडियोनामा पर और लेखों की उम्मीद है।
खैर बातें बाद में करेंगे पहले इन्टरव्यू सुन लूं, अभी चौथा भाग सुन रहा हूँ। बीच में बातें नहीं!! :)

तीसरा भाग लोड नहीं हो रहा, और सुन नहीं पाया। आप www.lifelogger.com पर लोड कर सकते हैं। जिसका प्रयोग इन दिनों मैं महफिल पर करता हूँ। इसमें गाने लोड जल्दी हो जाते हैं। इसका छोटा सा प्लेयर जो जगह भी कम रोकता है और बढ़िया भी लगता है।
sagarchand.nahar @ gmail.com

Manish Kumar said...

बहुत बहुत शुक्रिया अजित भाई इसे यहाँ सुनाने का !रेडियोनामा में आपका स्वागत है।

Udan Tashtari said...

हमेशा की तरह आपकी इस पोस्ट नें भी आनन्दित कर दिया. वाह!!! आपकी भी अदा निराली है.

annapurna said...

अच्छा लगा !

Anita kumar said...

अजीत जी ये इन्टरवियु सुनवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्। मजा आ गया।

डॉ. अजीत कुमार said...

मेरे ब्लॉग पर आमंत्रित अतिथिगण,
आप सब का स्वागत यहाँ आने का और अपने सुविचार यहाँ रखने का.
यूनुस भाई मैं आपसे क्या कहूं?इस interview का कितना अच्छा विवरण आपने प्रस्तुत किया है. मुझे क्या, लगता है बहुतों को ये बात पता नहीं होगी.
पीयूष जी ये आप सबों का आशीर्वाद ही है कि मैं आपके अनुरोध को पूरा कर पाया. मैंने खुद interview को कभी नहीं सुना था, और सुनने के बाद मैंने कितना आनंद उठाया ये मैं ही जानता हूँ. अपना स्नेह इसी तरह बनाए रखेंगे. और हाँ, मुझे अभी तक विविध भारती के फ़ोन इन में शामिल होने का मौका नहीं लग पाया है. हाँ एक बार मैं यहाँ पटना रेडियो के फ़ोन इन का हिसा जरूर बना था.
सागर भाई, आपने तो मुझे इतना विस्तृत मंच दिया है.पहली बार जाना कॉपी करने में बन्दा पकडा भी गया और उसे शाबाशी भी मिली... :)
मनीष जी, अन्नपूर्णा जी और अनीता जी , मैं हमेशा आपका, आप सबों का साथ चाहूंगा. एक छोटी सी टिप्पणी भी एक नवागत के लिए टॉनिक का काम करती है.
समीर जी, मैं आपसे क्या कहूं. आपने तो हमेशा सब का साथ दिया ही है,मेरा साथ अब आप "रेडिओनामा" पर भी दें,इसी आशा में हूँ.
अंत में ,फिर एक बार आप सबों का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने टिप्पणी की और जिन्होंने पढ़कर सराहा उन्हें भी. साथ ही और अभ्यागतों का स्वागत करने के लिए हमेशा तैयार हूँ.

Unknown said...

किशोर दा का हर रंग निराला.धन्यवाद