आज के दिन मैंने कई पोस्ट्स पढ़े जो केंद्रित थे हमारे स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों की प्रिय " दुर्गा भाभी " पर। आज उनके जन्म की १०० वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है. स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कोई भुला नहीं सकता है,बशर्ते जिन्हें वो याद हों। जिन्होंने उनके बारे मे जानने की जहमत ही नहीं उठाई वो क्या याद करेंगे उन्हें। अंग्रेजों की आंखों मे धूल झोंक कर जिस तरह उन्होंने शहीदे-आज़म भगत सिंह को कलकत्ता पहुंचाया वो वाकई जंगे-आजादी की अमिट कथा है। मैं उन्हें नमन करता हूँ.
इन सबसे इतर , मैं आज एक ऎसी शख्सियत के बारे में बात करने जा रहा हूँ जिनका नाम लेने के साथ ही जेहन में एक तस्वीर उभरती है , उस भारत की तस्वीर ,जिसमें एक ओर सीमाओं पर पहरा देते हमारे वीर सैनिक हैं तो दूसरी ओर पूरे देश को अपने पसीने से सिंचित करते हुए खेतों में काम करते मजबूत किसान हैं।
जी हाँ! मैं बात कर रहा हूँ स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री जी की। "जय जवान , जय किसान" का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री जिनकी जयंती अभी हाल ही में , 2nd october को मनायी गई। मैं ये नहीं कह रहा कि आपको ये तारीख मालूम नहीं है। सभी जानते हैं कि 2nd october को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनायी जाती है. परंतु, क्या आप महसूस करते हैं कि जिस तरह एक बडे वट वृक्ष की छाया मे दूसरे पौधे को पनपने का मौका नहीं लगता, उसी तरह, हम अपने पूर्व प्रधानमंत्री की जन्मतिथि को भूलते जा रहे हैं। मुझे तो कमसे कम इस बार ऐसा ही लगा। हालांकि मेरे पास केबल टीवी नहीं है तो मैं ये नही कह सकता कि उस पर कितना कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया किन्तु जहाँ तक दूरदर्शन और आकाशवाणी की बात है जो कि स्वयं को सरकारी चैनल कहते नही थकते हैं, उसकी स्व लाल बहादुर जी के प्रति निष्क्रियता मेरी समझ से बाहर है। दोनों ने सिर्फ दो पंक्ति के एक समाचार तक सीमित कर दिया इस सपूत को। अखबारों मे भी उनके लिए जगह नहीं थे। सम्पादकीय तो दूर की बात है।
जी हाँ! मैं बात कर रहा हूँ स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री जी की। "जय जवान , जय किसान" का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री जिनकी जयंती अभी हाल ही में , 2nd october को मनायी गई। मैं ये नहीं कह रहा कि आपको ये तारीख मालूम नहीं है। सभी जानते हैं कि 2nd october को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनायी जाती है. परंतु, क्या आप महसूस करते हैं कि जिस तरह एक बडे वट वृक्ष की छाया मे दूसरे पौधे को पनपने का मौका नहीं लगता, उसी तरह, हम अपने पूर्व प्रधानमंत्री की जन्मतिथि को भूलते जा रहे हैं। मुझे तो कमसे कम इस बार ऐसा ही लगा। हालांकि मेरे पास केबल टीवी नहीं है तो मैं ये नही कह सकता कि उस पर कितना कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया किन्तु जहाँ तक दूरदर्शन और आकाशवाणी की बात है जो कि स्वयं को सरकारी चैनल कहते नही थकते हैं, उसकी स्व लाल बहादुर जी के प्रति निष्क्रियता मेरी समझ से बाहर है। दोनों ने सिर्फ दो पंक्ति के एक समाचार तक सीमित कर दिया इस सपूत को। अखबारों मे भी उनके लिए जगह नहीं थे। सम्पादकीय तो दूर की बात है।
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