या देवी सर्वभूतेषु,
क्षमा रूपेण संस्थिता:,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः॥
माता के अनन्य भक्तजन,
आज नवरात्रि का नवम दिवस अर्थात अन्तिम दिवस है। आप सबों के साथ किस तरह ये नौ दिन गुजर गए खुद मुझे भी नहीं पता चला। आप सबों का साथ ही था जो मैं माँ के नवों स्वरूप की जानकारी आप तक पहुंचा सका। साधुवाद।
आज नौवें दिन माँ के नौवें स्वरूप की पूजा की जाती है जिसे " सिद्धिदात्री" कहा जाता है, अर्थात "नवम् सिद्धिदात्री".
माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है, पर ये कमल पुष्प पर भी विराजमान होती हैं। इनके दाएं ऊपर वाले हाथ में गदा तथा नीचे वाले हाथ में चक्र है। माँ के बाएँ नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर के हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है।
माँ सभी आठों सिद्धियों - अणिमा,महिमा,गरिमा,लघिमा,प्राप्ति,प्राकाम्य,ईशित्व और वशित्व - को देने वाली हैं। शास्त्रोक्त विधियों से माँ की उपासना करने वाले साधक को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता। उसमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पर विजय करने की शक्ति आ जाती है।
माँ के चरणों का सानिध्य प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर नियमनिष्ठ होकर उनकी उपासना करनी चाहिए।
तो माँ के भक्तो, इस प्रकार माँ के नवों रूपों की कथा यहीं समाप्त होती है। जिस तरह आज तक आपने अपनी श्रद्धा बनाए रखी है आगे भी बनाए रखें, कल माँ का विसर्जन होगा। तब तक आप आप ये भजन सुने और अपने चित्त को संयमित करें,माँ आपकी रक्षा करें.
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2 comments:
आपने नव दुर्गा के नवों रूपों को यहां प्रस्तुत किया इसके लिए आपको धन्यवाद ।
भाई मारकण्डेय पुराण तदनंतर दुर्गा शप्तशती में यह भाव आता है कि इसे पढने व पढाने वाले दोनों को मां शक्ति आर्शिवाद प्रदान करती हैं ।
पुन: धन्यवाद ।
जय दुर्गे ।
'आरंभ' छत्तीसगढ का स्पंदन
आपने पूरे नौ दिन सिद्ध कर दिये, बहुत साधुवाद मित्र.
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