या देवी सर्वभूतेषु
श्रद्धा रूपेण संस्थिता:,
नमस्तस्यै... नमस्तस्यै... नमस्तस्यै... नमो नमः।
माँ के प्रिय साधकगण,
या सबका कल्याण करे !
आज माँ की आराधना का तीसरा दिन है। आज के दिन हम माँ के एक और अलौकिक स्वरूप की पूजा करते हैं.
कल्याण कारिणी माँ की तीसरी शक्ति का नाम "चंद्रघण्टा" है,अर्थात " तृतीयं चंद्रघण्टेति "। माँ इस स्वरूप में परम शांतिदायिनी और कल्याणकारिणी हैं। चूंकि माँ के मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचंद्र है इसलिये माँ के इस विग्रह रुप को "चंद्रघण्टा देवी " कहा जाता है। माँ स्वर्ण के समान चमकीले शरीर वाली हैं, इनके दस हाथ हैं और ये त्रिनेत्रों वाली हैं।माँ सिंह पर विराजमान हैं. माँ के आठ हाथों में नाना प्रकार के आयुध शोभायमान हैं। अन्य दो हाथ भक्तों को वर देने की मुद्रा में हैं।माँ के घण्टे सी भयानक चंड-ध्वनि असुर प्रकम्पित रहते हैं।
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृताधियाम हृदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभावस्य लज्जा
तं त्वां नताः स्म परिपालय देवी विश्वं।।
जो पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मी रुप से, पापियों के यहाँ दरिद्रता रुप से,शुद्ध अन्तः करण वाले पुरुषों में ह्रदय मे बुद्धि रुप से ,सत्पुरुषों में श्रद्धा रुप से तथा कुलीन मनुष्यों में लज्जा रुप से निवास करती हैं,उन आप भगवती दुर्गा को हम नमस्कार करते हैं.देवी! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये.
भक्तों, आइये आज भी एक भजन सुनें और माँ की आराधना करें -
2 comments:
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रहृमचारिणी, तृतीयं चंद्रघण्टेति ......
लभते परमं रूपं शिवेन सह मोदते ।
धन्यवाद, अच्छा प्रस्तुत कर रहे हैं, बधाई
'आरंभ' अंतरजाल में छत्तीसगढ का स्पंदन
धन्यवाद संजीव जी.
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