माँ रक्षा करो।
आज माता हम सबों को छोड़ कर अपने घर वापस जा रही हैं। जी हाँ, माँ नौ दिनों तक अपने नैहर में रह लीं, अब हम सबों को रोता छोड़ कर जा रही हैं। माँ की आंखों में भी आंसू हैं। नौ दिन हम सबने माँ की पूजा और अब दसवें दिन हम उन्हें अपने घर विदा कर रहे हैं, खोइंछा भर कर दे रहे हैं, माँ से आशीष माँग रहे हैं अगले एक साल के लिए कि हे माँ हमें आपने इतने दिनों तक अपने आगोश में रखा , हमारी रक्षा की, आगे भी करें ताकि अगले साल हम और भी अच्छे से आपकी अगवानी कर सकें।
माँ ने मुझे शक्ति दी कि मैं आप सबों के साथ उनके स्वरूप का आह्वान कर सका। जिन्होंने मेरे पोस्ट्स को इतने दिनों तक पढ़ा और जिन्होंने नहीं पढ़ा उन सबों की और से मैं माँ से एक बार पुनश्च माफी मांगता हूँ कि अगर इन नौ दिनों में अगर मुझसे कोई भी भूल हुई हो तो मुझे माफ़ करें, आशीर्वाद दें कि अगली बार मैं और भक्ति से ओतप्रोत होकर आपका गुणगान कर सकूं।
माँ तो अंतर्यामी हैं, सबों के दिल का हाल जानती हैं,उनसे क्या कहना और क्या नहीं कहना? फिर भी हम अपनों के सामने ही तो अपने दिल का हाल सुनाते हैं। अपने दिल को तो उन्हीं के सामने चाहे रो कर चाहे हंस कर हल्का कर लेते हैं। तो फिर माँ से नहीं कहूंगा तो किससे कहूँगा। आज इस गोधूलि बेला में माँ को जाते हुए देख रहा हूँ, कह रहा हूँ ,हे माँ, जो मैं इस साल नहीं पा सका आशीष दो कि अगले बार उसे पाकर तुम्हारी आराधना कर सकूं। ताकि एक नया उत्साह संचार हो सके।
अभी जब सारा माहौल सन्नाटे में परिणत होता जारहा है, दूर कहीं से औरतों के द्वारा गाया जा रहा माँ का विदाई गीत सुन पा रहा हूँ। अभी अगर मैं अपने गाँव में होता तो उस गाने को रेकॉर्ड कर जरूर आपको भी सुनवाता। पर मैं जानता हूँ कि हमारे सुधि भक्त जन कहीं न कहीं उस गीत को अपने - अपने तौर पर जरूर याद कर रहे होंगे।
आज मैं बहुत भावुक होता जा रहा हूँ इस लिए अपने मन की सारी बात इस पोस्ट में उड़ेल रहा हूँ। आशा है कि आप मेरे मन की भावनाओं को समझ पा रहे होंगे। पर जिन्दगी है, चलती रहेगी, हम आप फिर भी मिलते रहेंगे। नए अध्याय जुड़ते रहेंगे।
आज मैं आपको अपना वही पसंदीदा माँ का भजन सुनवाने जा रहा हूँ जिसे आप पहले भी सुन चुके हैं, पर एक बार पुनः सुने , एक क्षमा प्रार्थना के साथ.
Aisa pyar baha de ... |
1 comment:
भाई, माँ कहीं नहीं जाती. आप उसका आशीशःअ और स्नेह सालों साल महसूस करते रहेंगे हर कार्य में.
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