या देवी सर्वभूतेषु
मात्रृरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्यै...नमस्तस्यै..नमस्तस्यै...नमो नमः ॥
भक्तो, माँ की पूजा करते हुए हम आज पाँचवे दिन आ पहुंचे हैं। नवरात्र के पाँचवे दिन माँ के पंचम स्वरूप की पूजा की जाती है।
माँ के पंचम स्वरूप को "स्कन्दमाता" कहा जाता है। स्कन्दमाता अर्थात भगवान् स्कन्द कुमार की माता। स्कन्द कुमार को "भगवान् कार्तिकेय " भी कहा जाता है। माता के पाँचवे विग्रह मे भगवान स्कन्द कुमार माता के गोद में बैठ हुए हैं।
माँ की चार भुजायें हैं। माता के उपर के दोंनो हाथों मे कमल-पुष्प सुशोभित है। नीचे के दाहिने हाथ से माता स्कन्द कुमार को गोद मे लिए हुई हैं तथा बांये हाथ वरमुद्रा के रुप में है।
माँ स्कन्दमाता की पूजा से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयमेव सुलभ हो जाता है।
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