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Friday, October 19, 2007

"महागौरीति च अष्टमं"


या देवी सर्वभूतेषु,
शांति रूपेण संस्थिता:,
नमस्त्स्यै, नमस्त्स्यै, नमस्त्स्यै, नमो नमः॥

माँ के भक्तो,
नमस्कार! माँ आप सब का कल्याण करें।

माँ की पूजा करते हुए आप हम सब भक्त अन्तिम दौर में पहुंच चुके हैं। आज माँ की पूजा का आठवां दिन है, अर्थात अष्टमी है।माँ के पट खुल चुके हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ माँ के दरबार में पहुँचनी शुरू हो गयी है। चारों और एक भक्तिमय वातावरण नजर आ रहा है।

आज माँ के आठवें स्वरूप "महागौरी" की पूजा की जाती है, अर्थात "महागौरीति च अष्टमं" .
माँ का वर्ण पूर्णतः गौरवर्ण है.इनके समस्त वस्त्र और आभूषण श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं है। माँ के ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाले दाहिने हाथ मी त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएँ हाथ में डमरू है तथा नीचे का हाथ वरमुद्रा में है। माँ की मुद्रा अत्यंत शांत है और ये वृषभ पर आरूढ़ हैं।

माँ महागौरी की कृपा से साधक को अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ये मनुष्य की वृत्तियों को सैट की और प्रेरित कर असत का विनाश करती हैं। माँ का ध्यान स्मरण ,पूजन -आराधन भक्तों के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी है।

आइये भक्तजन, आज मैं आपको शास्त्रीय भजनों से इतर एक फिल्मी भजन सुनवाने जा रहा हूँ जिसमें वही भक्ति समाहित है।हालांकि ओरिजनल ट्रैक नहीं है,पर आप आनद उठाएं. आइये सुने और माँ की भक्ति में डूब जाएँ। माँ के दरबार चलें और माँ के दर्शन करें।

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1 comment:

Udan Tashtari said...

इस बार की नवरात्रि आपके साथ खूब रंग में बीत रही है. बहुत आभार इन प्रस्तुतियों का.